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अकामः सर्वकामो वा... ........  भागवतपुराण (2|3|10 )  

अकामतः स्त्रियं हत्वा... ........  प्रायश्चित्तमयूखान्तर्गतं पापभेदनिरूपण ( )  

अकामयत... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2|6 )  

अकारो वै सर्वा वाक् ........  ऐतरेयोपनिषद् (3|6|7 )  

अक्ताः शर्करा उपदध्याद्दधाति ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (3|12|5 )  

अक्षपादप्रणीते च ........  पराशरपुराण ( )  

अक्षय्यं ह वै चातुर्मास्य...वाक्यशेषोक्तम्... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाश (2|11 )  

अक्षय्यं ह वै चातुर्मास्ययाजिनः सुकृतं भवति... ........  शतपथब्राह्मण (1|6|1 )  

अक्षरं तत् परं ब्रह्म...विस्तारिणी यथा... ........  विष्णुपुराण (1|22|56 )  

अक्षरं ब्रह्म परं... ........  भगवद्गीता (8|3 )  

अक्षराणां अकारोऽस्मि ........  भगवद्गीता (10|33 )  

अक्षरादपि च उत्तम: ... ........  भगवद्गीता (15|18 )  

अक्षा भवतः का... ........  बृहदारण्यकशांकरभाष्यवार्तिक (1|4|1219 )  

अखण्डं कृष्णवत् सर्वम् ... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (2|182 )  

अखण्डाद्वैतभानेतु...न स्वरूपतः... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (1|91 )  

अगुप्तो रसो रसाभासः स्यात्... ........  भागवत सुबोधिनी (10|56|44 )  

अंगे फलश्रुतिः अर्थवादः... ........  मीमांसासूत्रवृत्तिन्यायबिन्दु (4|3|1 )  

अग्निः ब्राह्मणः ........  तैत्तिरीयसंहिता (2|3|3|3 )  

अग्निः...वायुः...यथा एको ........  कठोपनिषद् (2|2|9-12 )  

अग्निर्भूतानामधिपतिः स मावतु ........  तैत्तिरीयसंहिता (3|4|5|1 )  

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