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अनया ते कात्यायन्या... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (2|4|1 )  

अनस्तिमतत्व ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1|5|22 )  

अनागतम् अतीतं च... ........  भागवतपुराण (10|58|21 )  

अनादिनिधनाविद्या ........  नित्या ( )  

अनादिमत्परं ब्रह्म...न असद् उच्यते... ........  भगवद्गीता (13|12 )  

अनादिरात्मा पुरुषो ........  भागवतपुराण (3|26|3 )  

अनार्यम् आर्यकर्माणम्... ........  मनुस्मृति (10|73 )  

अनित्ये जननं...सा त्रिधा... ........  भागवत सुबोधिनी (2|6|1 )  

अनिमित्ता भागवती भक्तिः ... ........  भागवतपुराण (3|25|33 )  

अनुकूले कलत्रादौ विण्णोः कार्याणि कारयेद ........  पञ्चश्लोकी (1-4 )  

अनुग्रहात्मिका शक्तिः... ........  पञ्चरात्रान्तर्गत लक्ष्मीतन्त्र (13|1-11 )  

अनुच्छित्तिधर्मा... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4|5|14 )  

अनुब्नध्यामालभेत ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (18|20|4 )  

अनुभवतः एकत्वाध्यासएव... विविक्तत्वात्... ........  विवरणप्रमेयसंग्रह (वर्ण.1|26 )  

अनुभवसिद्धोहि अयम्... ........  तत्त्वचिन्तामणिदीधिति-परामर्शप्रकरणम् ( )  

अनुभूतिः अवेद्या... ........  न्यायसिद्धाञ्जन (3|57 )  

अनुमितम् अन्तरा त्वयि विभाति मृषा एकरसे... ........  भागवतपुराण (10|87|37 )  

अनुल्लिखन्ती भेदं धीः...त्वामेव अधाक्षीद्... ........  द्वितीयवाचस्पतिकृतखण्डोनोद्धार ( )  

अनृतं वै वाचा... मनसा ध्यायति... ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (1|1|4|1 )  

अनृतापिधाना... ........  छान्दोग्योपनिषद् (8|3|1 )  

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