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मधु वाता ऋतायते मधु क्षरन्ति सिन्धवः ........  तैत्तिरीयसंहिता (4।2।9 )  

मनः त्वं व्योम...बिभृषे... ........  सौन्दर्यलहर्या (35 )  

मनः स्मरेत असुपतेः गुणान् ते... ........  भागवतपुराण (6।11।24-25 )  

मनएव मनुष्यस्य पूर्वरूपाणि शंसति... ........  भागवतपुराण (4।29।66 )  

मनःषष्ठानीन्द्रियाणि ........  भगवद्गीता (15।7 )  

मनसा पात्रम् उद्दिश्य... ........  अग्निपुराण (209।56 )  

मनसा वचसा दृष्ट्या... ........  भागवतपुराण (11।13।24 )  

मनसा वचसा दृष्ट्या...अञ्जसा... ........  भागवतपुराण (11।13।24 )  

मनसा सह बुद्धिः न विचेष्टति... ........  कठोपनिषद् (2।3।10 )  

मनसैव अनुद्रष्टव्यम्... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।19 )  

मनसैव इदम् आप्तव्यम् ........  कठोपनिषद् (2।1।11 )  

मनुरभवम् अहं सूर्यश्च ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1।4।10 )  

मनुष्या वा ऋषिषु उत्क्रामत्सु देवान् अब्रुवन् ........  निरुक्तनिघण्टु (13।1।12 )  

मनो बुद्धिः अहंकारः चित्तम्...लक्षणरूपया... ........  भागवतपुराण (3।26।14 )  

मनो बुद्धिरेव च अंहकारः... ........  भगवद्गीता (7।4 )  

मनोविकारा एवैते ........  भागवतपुराण (11।16।41 )  

मनोहि द्विविधं प्रोक्तम्... ........  ब्रह्मबिन्दूपनिषद् (1 )  

मन्त्रब्राह्मण यज्ञस्य प्रमाणम् ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (24।1।30 )  

मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदस्त्रिगुणं यत्र ........  शौनकचरणव्यूहपरिशिष्ट (2 )  

मन्त्रेणैवअभिमन्त्र्यअथ... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (3।19-20 )  

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