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महाभूतान्यहंकारो ........  भगवद्गीता (13।5 )  

महेश्वरः तव गुरुः... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (1।24।40 )  

मा एवं विभो...भवान् गदितुं नृशंसं... ........  भागवतपुराण (10।29।31 )  

मां च यो अव्यभिचारेण... ........  भगवद्गीता (14।26-27 )  

मां भजत... ........  भागवतपुराण (11।13।33 )  

मां मार्गयन्ति अद्धा... ........  भागवतपुराण (11।7।23 )  

मां विधत्ते अभिधत्ते मां... ........  भागवतपुराण (11।21।43 )  

मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य... ........  भगवद्गीता (9।32 )  

मातुः यद् अग्रे जायन्ते... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (1।2।39 )  

माध्यमिकस्तु मायावादिवद् ... ........  अणुभाष्य (2।2।31 )  

मामेव एति न संशयः... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड (4।2-3 )  

मामेव नैरपेक्ष्येण भक्तियोगेन... ........  भागवतपुराण (11।27।53 )  

माम् अप्राप्यैव, कौन्तेय... ........  भगवद्गीता (16।20 )  

माम् आत्मपरदेहेषु ........  भगवद्गीता (16।18 )  

माम् एकं शरणं व्रज... ........  भगवद्गीता (18।66 )  

माययाहि अन्यदिव... ........  नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद् (9 )  

माया च अविद्या च स्वयमेव... ........  नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद् (9।3 )  

मायान्तु प्रकृतिं विद्याद्... ........  श्वेताश्वतरोपनिषद् (4।10 )  

मायामात्रन्तु कात्स्नर्येन अनभिव्यक्तस्वरूपत्वात्... ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।3 )  

मायामात्रम् इदं ज्ञात्वा... ........  भागवतपुराण (11।19।1 )  

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