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प्रकृतिश्च प्रतिज्ञादृष्टान्तानुपरोधाद्... ........  ब्रह्मसूत्र (1।4।23 )  

प्रकृतिश्च...योनिश्च हि गीयते... ........  ब्रह्मसूत्र (1।4।23-27 )  

प्रकृतेः गुणसाम्यस्य...उपलक्षितः... ........  भागवतपुराण (3।26।17 )  

प्रकृते: क्रियमाणानि... ........  भगवद्गीता (3।7 )  

प्रकृतेर्गुणसाम्यस्य ........  भागवतपुराण (3।26।17 )  

प्रकृतेऽपि यद्रूपोपासनाप्रकरण ........  ब्रह्मसूत्राणुभाष्य (3।3।3 )  

प्रकृतैतावत्त्वं हि प्रतिषेधति... ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।22 )  

प्रजापतिः अकामयत प्रजायेयेमति... ........  तैत्तिरीयसंहिता (7।1।1 )  

प्रजापतिः अकामयत... ........  तैत्तिरीयसंहिता (3।1।1।1 )  

प्रजापतिः प्रजाः असृजत... ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (2।2।7।1 )  

प्रजापतिमेव देवतां यजन्ते... ........  शतपथब्राह्मण (12।1।3।21 )  

प्रजापतिर्वरुणायाश्वमनयनयद् ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।3।12।1 )  

प्रजापते रक्ष्यश्व यत्तत्परापत्तदश्वोऽभवद् ........  तैत्तिरीयसंहिता (5।3।12।1 )  

प्रजापतेरेव सायुज्यमुपैति ........  माध्यन्दिनशतपथब्राह्मण (12।1।3।2 )  

प्रजायेय ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।6।1 )  

प्रज्ञया शरीरं समारुह्य... ........  कौषितक्युपनिषद् (3।6 )  

प्रज्ञोपलब्धिः चित्संविद् ........  अमरकोश (1।5।1 )  

प्रणतभारविटपाः मधुधाराः ... ........  भागवतपुराण (10।32।9 )  

प्रणम्य हेतुम् ईश्वरम्... ........  वैशेषिकसूत्रभाष्यमंगलाचरण ( )  

प्रतिग्रहं मन्यमानः... ........  भागवतपुराण (11।17।41 )  

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