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प्रतिज्ञादृष्टान्तानुपरोधाधिकरण ........  ब्रह्मसूत्र (1।4।23 )  

प्रतितिष्ठन्तीह वै त ........  ताण्ड्यब्राह्मण (23।2।4 )  

प्रतिबुद्धइव स्वप्नाद् ... ........  भागवतपुराण (10।11।13 )  

प्रतिमुखस्य यथा मुखश्रीः... ........  भागवतपुराण (7।9।11 )  

प्रतिवेशं पचेयुः तस्याश्नीयाद् ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (1।6।7।1 )  

प्रत्यक्षा सा न सर्वेषाम् ........  सिद्धान्तमुक्तावली (8 )  

प्रत्यक्षादृष्टविषये पदार्थाः श्रुतिबोधिताः ........  भागवत सुबोधिनी (2।9।32 )  

प्रत्यक्षेणानुमित्या वा ........  ऐतरेयब्राह्मणभाष्य (1।1।1 )  

प्रत्यभिज्ञायते कर्ता यः ........  शास्त्रदीपिका (1।1।5 )  

प्रत्युद्गमप्रश्रयणाभिवादनम् ... ........  भागवतपुराण (4।3।22 )  

प्रथमाविभक्त्यन्तघटामदिपद्... ........  व्युत्पत्तिवादीयकारकप्रकरण प्रथमाविवेचन ( )  

प्रदर्शितेन प्रकारेण...उपपद्यन्ते... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।1।37 )  

प्रदेशादिति चेद् न अन्तर्भावाद्... ........  ब्रह्मसूत्र (2।3।53 )  

प्रधानकारणवादः कैश्चिद्... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।2।3 )  

प्रपञ्चो भगवत्कार्यः ... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (1।23 )  

प्रपञ्चो भगवत्कार्यः तद्रूपो माययाऽभवत ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (1।23 )  

प्रपत्तिमार्गस्य भक्तिमार्गानुकल्पत्वाद् ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाशावरणभंग (2।255 )  

प्रभुत्वेन हरेः स्मूर्तौ... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (2।102।1 )  

प्रमत्तस्य विवेकशून्यस्य देहादौ... ........  भागवतभावार्थदीपिका (11।13।9 )  

प्रमाणतोऽपि निर्णीतं ... ........  भगवद्गीतामधुसूदनी (15।20 )  

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