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तिङ्सुबन्तचयो वाक्यम् ........  अमरकोश (1।6।2 )  

तिममम् अर्थम् आगमः संवदति...इति अर्थः... ........  न्यायकुसुमाञ्जली (स्तब.5 )  

तिरोधानेन सो असृजत्... ........  भागवतपुराण (3।20।44 )  

तुलसिका भगवतः आभरणं... ........  भागवत सुबोधिनी (3।15।19 )  

तुलसी काष्ठनिर्माण... ........  ब्रह्मवैवर्तप्रकृतिखण्ड (21।47 )  

तुलसीकाष्ठघटितैः... ........  रामार्चनचन्द्रिका (। )  

तुलसीकाष्ठजां मालां... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड (4।3 )  

तुलसीकाष्ठमालाभिः... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (4।11-15 )  

तुलसीकाष्ठम् आलोक्य... ........  हरिवल्लभसुधोदय (। )  

तुलसीकाष्ठसम्भूतम्... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (।4।8-10 )  

तुलसीकाष्ठसम्भूतां यो... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (4।6-7 )  

तुलसीदलजां मालां... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (4।6 )  

तुलसीमाला... ........  पुरश्चरणचन्द्रिका (। )  

तुलसीशंखतोयेन गायत्र्या अस्मिन् निधाय च ........  साधनदीपिका (110 )  

तुलसीसम्भवा यातु... ........  गौतमीयतन्त्र (7। । )  

तूष्णीम् एताः क्रिया स्त्रीणां... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (1।2।13 )  

तृप्तएव एनम् इन्द्र : ... ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।5।4।3 )  

ते इमे परमाणवः चेतनम् ... ........  न्यायमञ्जरी (8।ईश्व.सा )  

ते नाधीतश्रुतिगणाः नोपासीतमहत्तमाः ........  भागवतपुराण (11।12।7-15 )  

ते प्राप्नुवन्ति मामेव... ........  भगवद्गीता (12।4 )  

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