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त्रिवृतायूपं परिवीय आग्नेयं... ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (12।18।12 )  

त्रिष्वपि भगवान् अनुस्यूतः... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाश (66 )  

त्रीणि आत्मने अकुरुतेति... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1।5।3 )  

त्रीणि रूपाणि...इत्येव सत्यम्... ........  छान्दोग्योपनिषद् (6।4।1 )  

त्रीण्येव प्रमाणानि ........  भागवत सुबोधिनी (3।26।30 )  

त्र्यात्मकत्वात्तु भूयस्त्वाद्... ........  ब्रह्मसूत्र (3।1।2 )  

त्वं च रुद्र महाबाहो मोहशास्त्राणि.. ........  वराहपुराण (70।36 )  

त्वं तु सर्वं परित्यज्य... ........  भागवतपुराण (11।7।6 )  

त्वं ब्रह्म परमं साक्षाद्...मोहितानि ते... ........  भागवतपुराण (11।16।1-4 )  

त्वं भावयोगपरिभावितहृत्सरोज ........  भागवतपुराण (3।9।11 )  

त्वं हि नः पिता... ........  प्रश्नोपनिषद् (6।8 )  

त्वन्तु सर्वं परित्यज्य...विचरस्व गाम्... ........  भागवतपुराण (11।7।6 )  

त्वन्मायया विरचिता... ........  भागवतपुराण (11।7।16 )  

त्वमात्मनात्मानमवेह्यमोघदृक् ........  भागवतपुराण (1।5।21 )  

त्वया उपभुक्तस्रग्गन्ध... ........  भागवतपुराण (11।6।46 )  

त्वयि उद्धव... ........  भागवतपुराण (11।19।7 )  

त्वयि ते इमे ततो विविधनामगुणैः ........  भागवतपुराण (10।84।31 )  

त्वष्टारं यजति ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।6।10।3 )  

दक्षिणाग्नौ पत्नयाः ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (8।10।10 )  

दक्षिणार्थं यो विप्रो... ........  पराशरस्मृति (12।35 )  

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