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रूपं रूपम्... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (2।5।19 )  

रूपनामविभेदेन जगत् क्रीडति यो यतः ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (1।1 )  

रूपाद्यभावाद्धि न अयम्...आश्रीयते... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।1।11 )  

रूपेण मोक्षदः प्रोक्तो रसेन आन्ददायकः ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (3।6।8-11 )  

रेमिरे अहस्सु तच्चित्ताः... ........  भागवतपुराण (10।32।26 )  

रेमे तया च आत्मरतः... ........  भागवतपुराण (10।27।34 )  

लक्षणेत्थम्भूताख्यानभागवीप्सासु... ........  पाणिनिसूत्र (1।4।90 )  

लघ्वादिधर्मैः ........  सांख्यप्रवचनसूत्र ( )  

लपन् अच्युत अनन्त...देव प्रसीद... ........  विष्णुभुजङ्गप्रयातस्तोत्र (14 )  

लब्धानुग्रहम् आचार्याद् ... एवं सप्तविधा भक्तिः ........  साधनदीपिका (24-30 )  

ललाटे केशवं विद्याद्... ........  पद्मपुराणोत्तरखण्ड (226।45 )  

ललाटे तिलकं कृत्वा... ........  स्मृतिसारसमुच्चय (। )  

लवणं तनया लाक्षा... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (3।3।40 )  

लाभपूजार्थयत्नस्य उपधर्मत्वदेवलकत्वादि... ........  सिद्धान्तमुक्तावलीविवरणप्रकाश (.16 )  

लिखित्वा तच्च यो दद्याद्... ........  स्कन्दपुराण (। । )  

लिंगन्तु धर्मोपपत्तेः ... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यवार्तिक (1।3।8 )  

लीलामध्यपातिभक्तानामपि... ........  ब्रह्मसूत्राणुभाष्य (3।3।37 )  

लोकतो अर्थप्रयुक्ते ........  पातञ्जलमहाभाष्यपस्पशाकि ( )  

लोकवत्तु लीलाकैवल्यम् ........  ब्रह्मसूत्र (2।1।33 )  

लोकस्य आजानतो व्यासः... ........  भागवतपुराण (1।7।6 )  

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