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लोकानान्तु विवृध्यर्थं... ........  मनुस्मृति (1।31 )  

लोकार्थी चेद् भजेत्कृष्णम् ........  सिद्धान्तमुक्तावली (16 )  

लोकालोकं तथा अतीत्य विवेश सुमहत्तमः... ........  भागवतपुराण (10।89।48 )  

लोभः प्रवृत्तिरारम्भः ........  भगवद्गीता (14।12 )  

लोहितान् वृक्षनिर्यासान्... ........  मनुस्मृति (5।6 )  

लौकिकत्वं वैदिकत्वं कापट्यात् तेषु न अन्यथा ........  पुष्टिप्रवाहमर्यादा (20-21 )  

वक्षो निवासम् अकरोत् ... ........  भागवतपुराण (8।8।25 )  

वञ्चनार्थम् उपन्यासो... ........  पूर्वमीमांसाश्लोकवार्तिक (निरा.वा.8 )  

वत्समालभेत ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।1।4।7 )  

वत्से चतुर्षु वेदेषु... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (2।32।9-10 )  

वदन्ति कृष्ण श्रेयांसि ........  भागवतपुराण (11।14।1 )  

वदन्ति केचिद् विद्वांसः... ........  स्कन्दपुराण (। । )  

वदन्ति विश्वं कवयः...अध्यात्मविदो विपश्चितः... ........  भागवतपुराण (5।18।4 )  

वनन्तु सात्त्विको वासो... ........  भागवतपुराण (11।25।25 )  

वर्णन्तु चाक्षरे ........  अमरकोश (3।3।48 )  

वर्णास्तु आद्याः त्रयो द्विजाः... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (1।2।10 )  

वर्तिदीपाकृतिं वापि... ........  आचारमाधव (। । )  

वर्तुलं तिर्यग् अच्छिद्रं... ........  पद्मपुराणोत्तरखण्ड (226।41-42 )  

वशीकुर्वन्ति मां भक्ताः ... ........  भागवतपुराण (9।4।66 )  

वंशीविभूषितकराद् ... ........  अद्वैतसिद्धि (2।ब्र.ज्ञा. )  

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