| Shlok Name

Shlok Name From First Char | Shlok Name from Any Char | No. of Records                          Print | Print Full

द्वे रूपे ब्रह्मणस्तस्य मूर्तञ्चामूर्तमेव...सर्वभूतेष्ववस्थिते... ........  विष्णुपुराण (1।22।55 )  

द्वे वाव... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (2।3।1 )  

द्वे सत्ये समुपाश्रित्य...सत्यं च परमार्थतः... ........  बोधिचर्या (361 )  

द्वेधा हि वेदान्तानां...बाध्यते... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाश (1।91 )  

द्वेषरागयोरपि मोक्षसाधकत्वं जातम् ........  भागवत सुबोधिनी (10।26।15 )  

द्वैपायनसुतो... विदुरः... ........  भागवतपुराण (3।7।1 )  

द्वौ इमौ पुरुषौ लोके... ........  भगवद्गीता (15।16 )  

द्वौ इमौ पुरुषौ...पुरुषोत्तम ........  भगवद्गीता (15।16-18 )  

द्व्यचश्छन्दसि ........  पाणिनिसूत्र (4।3।150 )  

धन्यास्तु... ........  भागवतपुराण (10।18।11 )  

धर्मं जिज्ञासितुम् इच्छेद् ........  शाबरभाष्य (1।1।1 )  

धर्मः प्रोजि्झतकैतवो अत्र परमो... ........  भागवतपुराण (1।1।2 )  

धर्मः स्वनुष्ठितः पुंसाम् ........  भागवतपुराण (1।2।8 )  

धर्मजिज्ञासायामिव... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (1।1।2 )  

धर्ममात्रेतु कर्म स्याद्... ........  जैमिनिसूत्र (2।1।9 )  

धर्मान् व्यतिरिक्तान् इच्छन्ति...उभयम् उपपद्यते... ........  न्यायकन्दली उद्देशप्रकरण ( )  

धर्मार्थकाममोक्षाणाम्... ........  गौतमीयतन्त्र (19।5 )  

धर्मो यस्यां मदात्मकः ........  भागवतपुराण (11।14।3 )  

धर्मोपपत्तेश्च... ........  ब्रह्मसूत्र (1।3।9 )  

धातुः प्रसादाद्... ........  महानारायणोपनिषद् (10।1 )  

1 16 17 18 19 20 27