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सैषा वेदोपनिषद् ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (1।11।4 )  

सो अकामयत बहु स्यां ...अकुरुत... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।6-7 )  

सो अनुवीक्ष्य न अन्यद् आत्मनो अपश्यद्... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।1 )  

सोम औषधीनाम् ........  तैत्तिरीयसंहिता (3।4।5।12 )  

सोमं यजति ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।6।10।5 )  

सोऽकामयत...स तपोऽतप्यत ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (3।2।6 )  

सोऽहं तव अंघ्र्युपगतो अस्मि असतां दुरापं ........  भागवतपुराण (10।37।28 )  

सोऽहं भगवते विदेहान् ददामि... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।23 )  

सोऽहं ममाहं... ........  भागवतपुराण (11।7।16 )  

सौरीभ्यामृग्भ्यां गार्हपत्ये ........  तैत्तिरीयसंहिता (6।6।1।1 )  

स्तुतस्य स्तुतमसि शस्त्रस्य ........  तैत्तिरीयसंहिता (3।2।7।1-2 )  

स्त्रिभ्यो ढक्... ........  पाणिनिसूत्र (4।1।120 )  

स्त्रीणाम् अनुपनीतानां... ........  बृहन्नारदीयपुराण (। । )  

स्त्रीभावो गूढः पुष्टिमार्गे तत्त्वमिति "कृष्णमपदार्थः ........  भागवत सुबोधिनी (10।18।5 )  

स्त्रीशूद्रद्विजबन्धूनां... ........  भागवतपुराण (1।4।25 )  

स्त्रीषु अनन्तरजातासु... ........  मनुस्मृति (10।6 )  

स्त्र्यऽपराधात् कर्तुश्च पुत्रदर्शनम्... ........  जैमिनीयपूर्वमीमांसासूत्र (1।2।13 )  

स्थायी भावो रसः स्मृतः ... ........  भरतनाट्यशास्त्र (7।8 )  

स्थिरबुद्धिरसंमूढः ........  भगवद्गीता (5।20 )  

स्नत्यज्य सर्वविषयान्... ........  भागवतपुराण (10।26।32 )  

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