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चित्रमात्रेऽपि सेवा स्यात् प्रतिबन्धे गुरोः गिरा ........  साधनदीपिका (82 )  

चित्रमृण्मयादौस्नानाद्यसंभवे... ........  निर्णयसिन्धुस्थद्वितीयप्रकरणान्तर्गतदेवमूर्तिस्थापन ( )  

चिद्रूपएव अविकारो हि...सर्वम्... ........  नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद् (9 )  

चूतप्रवाल... ........  भागवतपुराण (10।18।8 )  

चेतनम् एकम् अद्वितीयं...आक्षिपति... ........  ब्रह्मसूत्रशामरभाष्य (2।1।26 )  

चेतस्तत्प्रवणं सेवा तत्सिद्ध्यै तनुवित्तजा ........  सिद्धान्तमुक्तावली (2 )  

चेतस्तत्प्रवणं सेवा... ........  सिद्धान्तमुक्तावली (2 )  

चैतन्यदीप्तात्तस्माद् ........  नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद् (9 )  

चैत्यस्य तत्त्वम् अमलं... ........  भागवतपुराण (3।28।28 )  

चैद्यदेहोत्थितं ज्योतिः ........  भागवतपुराण (10।74।45 )  

चोदनालक्षणोर्थो धर्मः ........  जैमिनिसूत्र (1।1।2 )  

छन्दास्येनं प्रजहन्ति काले ........  महाभारत (5।35।35 )  

छागस्य वपाया मेदसो ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (3।6।8।1 )  

छाया प्रत्याह्वयाभासाः... ........  भागवतपुराण (11।28।5 )  

छाया सूर्यप्रिया...अनातपः... ........  अमरकोश (3।3।157 )  

जगत्कर्ता जगन्मयः ... ........  पुरुषोत्तमसहस्रनाम (1।10 )  

जगदुत्पत्त्यादिषु आविर्भूतनिमित्त... ........  विष्णुसहस्रनामभाष्य (468 )  

जगद्धातुः महेशस्य... ........  गरुडपुराण (211।4-5 )  

जगद्योनिः भवेद् एष...सम्भवः... ........  पञ्चदश्या (6।182-186 )  

जगन्माता च प्रकृतिः... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (4।52।34 )  

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