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तपस्विभ्यो अधिको योगी... ........  भगवद्गीता (6।46 )  

तम आसीत् तमसा गूढम्... ........  ऋक्संहिता (10।129।1 )  

तमः खलु चलं नीलं बहुलं...प्रतीयते... ........  मानमेयरहस्यश्लोकवार्तिक (21 )  

तमध्यापयीत ........  याज्ञवल्क्यस्मृतिबालक्रीडा (1।2।24 )  

तमसा ग्रस्यते पुंसः... ........  भागवतपुराण (11।21।21 )  

तमसा च आवृता दिशः... ........  भागवतपुराण (10।80।33 )  

तमस्तु अज्ञानजं विद्धि... ........  भगवद्गीता (14।8 )  

तमुत्क्रामन्तं प्राणोऽनुत्क्रामति ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।2 )  

तमेतं वेदानुवचनेन...श्रद्धयानाशकेन ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।22 )  

तमेव धीरो विज्ञाय...हि तद्... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।21 )  

तमेव भान्तमनुभाति सर्वम् ........  कठोपनिषद् (5।15 )  

तमेव भान्तम् अनुभाति ...विभाति... ........  मुण्डकोपनिषद् (2।2।11 )  

तमेव विदित्वा अतिमृत्युम् ... ........  श्वेताश्वतरोपनिषद् (3।8 )  

तमो रजः सत्विमति ........  भागवतपुराण (11।24।5 )  

तम् अक्रतुं पश्यति वीतशोको... ........  श्वेताश्वतरोपनिषद् (3।20 )  

तम् अद्भुतं बालकम् अम्बुजेक्षणम् ........  भागवतपुराण (10।3।9-10 )  

तम् आत्मस्थं...शाश्वतं नेतरेषाम्... ........  कठोपनिषद् (5।12 )  

तम् उत्क्रामन्तम् प्राणो अनूत्क्रामति... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।2 )  

तम् एवं विद्वान् अमृत... ........  पुरुषसूक्त (8 )  

तया त्वा दीक्षया दीक्षयामि ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (3।7।7।5 )  

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