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न श्रावणीयं पाठनीयं वा... ........  शूद्रादेः श्रीभागवतपाठशंकानिरासवाद ( )  

न स पुनरावर्तते ........  छान्दोग्योपनिषद् (8।15।1 )  

न सद् न असद् उच्यते... ........  भगवद्गीता (13।12 )  

न सद् न असद् न सदसद् ... ........  अद्वयवज्रसंग्रहः (19 )  

न सोऽस्ति प्रत्ययो लोके ........  वाक्यपदीयम् (1।115 )  

न स्थानतोऽपि परस्य ... ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।11 )  

न हिंस्यात् सर्वा भूतानि... ........  छान्दोग्योपनिषद् (8।15।1 )  

नक्षत्राणामहं शशी ........  भगवद्गीता (10।21 )  

नच अन्त:करणवृत्तावपि... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यभामती (1।2।18 )  

नच अयम् अस्ति नियमः...अध्यस्यन्ति... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (1।1।1 )  

नच इयं सृष्टिः...ब्रह्मात्मभावप्रतिपादनपरत्वात् च... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।1।33 )  

नच यागो यजमानस्येव... ........  सिद्धान्तमुक्तावलीविवृतिप्रकाश (2 )  

नच वेदाद् ऋते किञ्चित्... ........  कूमर्पुराणपूर्वविभाग (12।260-263 )  

नच वेदाद् ऋते... ........  कूमर्पुराण (1।11।271 )  

नच शून्यता भावाद् ... ........  बोधिचर्यावतारपञ्जिका (9।34 )  

नतु मां शक्यसे द्रष्टुम् अनेनैव स्वचक्षुषा ........  भगवद्गीता (11।8 )  

ननु एषा कथं हन्तव्या यतो गुणवती सुषुप्तौ ........  भागवत सुबोधिनी (10।84।14 )  

ननु क्षीराद्यपि दध्यादिभावेन...साधनम्... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।1।24 )  

ननु पुरुषोत्तमस्वरूपात् तत्र को विशेषः इति चेत् ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाश (2।99-100 )  

ननु मायोपाधिकबिम्बचिन्मात्रस्य... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यरत्नप्रभा (1।1।12 )  

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