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नारायणपराः लोकाः ........  भागवतपुराण (2।5।15 )  

नाश्नतः... ........  भागवतपुराण (6।1।12 )  

नासतो विद्यते भावो... ........  भगवद्गीता (2।16 )  

नास्ति तु पञ्चमः... ........  मनुस्मृति (10।4 )  

नास्ति स्त्रीणां क्रियामन्त्रैः... ........  मनुस्मृति (9।18 )  

नाहं वेदैः न तपसा... ........  भगवद्गीता (11।53-54 )  

निखिलभूतगुहाशयस्थ... ........  भागवतपुराण (3।29।11 )  

निगमकल्पतरोः गलितं फलं... ........  भागवतपुराण (1।1।3 )  

नित्यः सर्वगतः स्थाणुः... ........  भगवद्गीता (2।24 )  

नित्यत्वे सति अनेकसमेवेतता... ........  न्यायसिद्धान्तमुक्तावली (8 )  

नित्यापरिच्छिन्नतनौ प्राकट्यम्... ........  भागवत सुबोधिनी (2।6।1 )  

निमर्न्थ्यादिषु च एवम्... ........  जैमिनिसूत्र (7।3।7।18 )  

नियतधमर्साहित्य उभयोः ........  सांख्यप्रवचनसूत्र (5।29 )  

निरधिष्ठान-विज्ञानवादि...इत्यभिमन्वते... ........  मानमेयरहस्यश्लोकवार्तिक (21 )  

निरवद्यं निरञ्जनम् ... ........  श्वेताश्वतरोपनिषद् (6।19 )  

निर्गुणस्य अप्रमेयस्य...उपपद्यते... ........  विष्णुपुराण (1।2-3।67-1-3 )  

निर्गुणस्य भक्तियोगस्य तत् लक्षणं ........  भागवत सुबोधिनी (3।29।12 )  

निर्यासस्य नाश्यं ब्रह्म... ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।5।1।4 )  

निर्विण्णानां ज्ञानयोगः... ........  भागवतपुराण (11।20।7 )  

निर्विशेषकारणतायामपि... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यप्रदीपः (1।1।6 )  

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