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यद्धि यस्माद् प्रभवति... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (1।5।25 )  

यद्यद् धिया त उरुगाय... ........  भागवतपुराण (3।9।11 )  

यद्यद् विभूतिमत् सत्त्वं... ........  भगवद्गीता (10।41 )  

यद्यद्धिया त उरुगाय विभायन्ति तत्तद वपुः ........  भागवतपुराण (3।9।11 )  

यद्यपि स्वभक्तेषु पूर्वोक्तै: स्वनामभि: ........  श्रीगोकुलनाथकृत सर्वोत्तमविवृति ( )  

यद्वा एतद् न पश्यति...यत् पश्येद्... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।3।23 )  

यद्वै किञ्च मनुरवदत् तद् भैषजम् ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।2।10।2 )  

यद्वै किञ्चन अनूक्तं तस्य... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1।23।17 )  

यन्न स्पृशन्ति न विदुः ........  भागवतपुराण (6।16।23 )  

यमेव एष वृणुते तेन लभ्यः ........  मुण्डकोपनिषद् (3।2।3 )  

यमेव एष वृणुते तेन लभ्यः... ........  कठोपनिषद् (1।23 )  

यया स्वप्नं भयं शोकं... धृतिः सा पार्थ तामसी ........  भगवद्गीता (18।35 )  

यर्हि वाव महिम्नि स्वे ...उभयम्... ........  भागवतपुराण (2।9।3 )  

यशोदा आकर्ण्य नामानि... ........  भागवतपुराण (10।43।28 )  

यस्तु आत्मरतिरेव स्याद्... ........  भगवद्गीता (3।17-30 )  

यस्तु इमं सरहस्यन्तु... ........  वराहपुराण (39।54 )  

यस्तु नारायणं देवं... ........  पद्मपुराणोत्तरखण्ड (235।9 )  

यस्तु यस्य आदिः...यथा तैजसपार्थिवाः... ........  भागवतपुराण (11।24।17 )  

यस्तु संतप्तशंखादि... ........  बृहन्नारदीयपुराण (। । )  

यस्तु सर्वाणि भूतानि...अनुपश्यतः... ........  ईशावास्योपनिषद् (6-7 )  

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