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यस्याहिताग्नेः अग्निः ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।2।2।5 )  

यस्योभयं हविरार्तिमार्च्छेत् ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (3।7।1 )  

या ते अग्नेऽयाशया तनूर्वर्षिष्ठा... ........  मैत्रायणी संहिता (1।2।7 )  

या ते अग्नेऽयाशया...तनूर्वर्षिष्ठा ........  तैत्तिरीयसंहिता (1।2।11।5 )  

या निशा सर्वभूतानां... ........  भगवद्गीता (2।69 )  

यागस्थक्षत्रविड्घाते... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (3।5।245 )  

यागो दानं तपो होमः... ........  ब्रह्मपुराण (। । )  

याजयन्ति च ये पूगान्... ........  मनुस्मृति (3।151-152 )  

याञ्चया आप्तं याचितकम्... ........  अमरकोश (2।10।4 )  

यान् आस्थाय नरो... ........  भागवतपुराण (11।2।35 )  

याममात्रं भगवत्सेवां विधाय... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (2।232 )  

यावज्जीवमग्निहोत्रम् जुहोति ........  वराहाश्रौतसूत्र (1।1।1।86 )  

यावत् सर्वेषु भूतेषु... ........  भागवतपुराण (11।29।17 )  

यावत् स्याद् गुणवैषम्यं... ........  भागवतपुराण (11।10।32 )  

यावद देहो अयम् तावद वर्णाश्रमधर्माएव स्वधर्माः ........  भागवत सुबोधिनी (3।18।2 )  

यावद् देहो अयं तावद्... ........  भागवत सुबोधिनी (3।28।2 )  

यावद् न जायेत परावरे... ........  भागवतपुराण (2।2।14 )  

यावद् नानार्थ... ........  भागवतपुराण (11।13।30 )  

यावान् यश्चास्मि यादृशः... ........  भागवतपुराण (11।11।33 )  

यास्यसे हि अकुतोभयम्... ........  भागवतपुराण (11।12।15 )  

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