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वस्तुतस्तु विश्वामित्रस्यापि... ........  धर्मप्रदीपे जातितत्त्वप्रकाश पृ.67-116 ( )  

वस्तुतस्तु शब्दाजन्यवृत्तिविषयत्वमेव दृश्यत्वम्... ........  अद्वैतसिद्धि (दृश्यत्वहेतूपपत्ति )  

वस्तुतस्तु सर्वस्य भगवदीयत्वेऽपि...रमणाथ ........  सिद्धान्तरहस्य (2 )  

वस्तुनः तत्समसत्ताको...विवेकः... ........  सिद्धान्तलेशसंग्रह (1।3 )  

वस्तुनो मृदुकाठिन्यम् ........  भागवतपुराण (2।10।23 )  

वाक्यान्वयात्... ........  ब्रह्मसूत्र (1।4।19 )  

वागालम्बनमात्रं नामैवं केवलं...वस्तु अस्ति... ........  छान्दोग्योपनिषच्छाङ्करभाष्य (6।1।4 )  

वाङ्मनसि ........  ब्रह्मसूत्र (4।2।1 )  

वाचा विरूपनित्यया... ........  ऋक्संहिता (8।75।6 )  

वाचारम्भणं विकारो नामधेयम् ........  छान्दोग्योपनिषद् (6।1।5 )  

वाच्यत्वं वेद्यतां च ... ........  तत्वमुक्ताकलापः (3।3 )  

वायुर्वै क्षेपिष्ठा देवता ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।1।1।1 )  

वायू रूपेण रहितः...तमः... ........  मानमेयरहस्यश्लोकवार्तिक (21 )  

वार्ता विचित्रा शालीन... ........  भागवतपुराण (7।12।16 )  

वार्ता-सञ्चय-शालीन-शिलोञ्छ... ........  भागवतपुराण (3। 12।42 )  

वासांसि जीर्णानि यथा ... ........  भगवद्गीता (2।22 )  

वासिष्ठो ह सात्यहव्यो...यजमानस्यापराभवाय ........  तैत्तिरीयसंहिता (6।6।2।6 )  

वासुदेवः सर्वम् इति... ........  भगवद्गीता (7।19 )  

वासुदेवो भगवताम्... ........  भागवतपुराण (11।16।29 )  

विकल्पएव एषां स्थानानां... भगवत्सान्निध्यप्रयोजकः ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाशावरणभंग (2।255 )  

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