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व्यावृत्तं शुक्तिरूप्यं विदितम् ... ........  तत्वमुक्ताकलापः (3।51 )  

व्यासो नारायणः साक्षात्... ........  शंकरदिग्विजये (.7।11 )  

व्येतु ज्ञापयिष्यामि... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (2।1।15 )  

व्रतम् एतत् पाशुपतं... ........  अथर्वशिरोपनिषद् (5 )  

व्रतम् एतत् शाम्भवम्... ........  कालाग्निरुद्रोपनिषद् (1 )  

व्रीहीन् अवहन्ति ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (1।19।11 )  

व्रीहीन्प्रोक्षति ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (1।19।1,शतपथब्राह्मण )  

शक्तयः सर्वभावानाम् अचिन्त्य...यथा उष्णता... ........  विष्णुपुराण (1।3।2-3 )  

शक्तिशक्तिमतोः च...भेदाः... ........  ब्रह्मसूत्रभास्करभाष्य (2।1।18 )  

शक्तिश्च कारणस्य कार्यनियमार्था...आत्मभूतं कार्यम्... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।1।18 )  

शक्तौ पलत्रयमितं... ........  पद्मपुराण भागवतमाहात्म्य (6।65-66 )  

शंखचक्रं मृदा यस्तु... ........  विष्णुपुराण (। । )  

शंखचक्रांकनं कुर्याद्... ........  पद्मपुराणोत्तरखण्ड (224।29-30 )  

शंखांकिततनुः विप्रो... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्डस्थ मार्गशीर्षमाहात्म्य (3।45 )  

शंखायुधांकितो भक्त्या... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्डमार्गशीर्षमाहात्म्य (3।39 )  

शतशो अथ सहस्रैः च... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड (16।39-41 )  

शनकैस्तु क्रियालोपाद्... ........  मनुस्मृति (10।43 )  

शन्नो देवीरभिष्टये ........  अथर्ववेदमंगलाचरण ( )  

शब्द इति चेन्नातः प्रभवात् ........  ब्रह्मसूत्र (1।3।28 )  

शब्द ब्रह्म सुदुर्बोधम् ........  भागवतपुराण (11।21।36 )  

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