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शुद्धाभेदवादोऽपि...निर्णेयः... ........  सुबोधिनी प्रकाश (2।1।5 )  

शुद्ध्यशुद्धी विधीयेते समानेष्वपि...यात्रार्थम् इति... ........  भागवतपुराण (11।21।3 )  

शुश्रूषणं द्विजगवाम् ........  भागवतपुराण (11।17।19 )  

शूद्रयोनौ अहं जातो ... ........  महाभारत (5।41।5 )  

शूद्रां शयनम् आरोप्य... ........  मनुस्मृति (3।17 )  

शूद्रायां ब्राह्मणाद् जातः... ........  मनुस्मृति (10।64-67 )  

शूद्रेतु यद् भवेद् लक्ष्म... ........  महाभारत (3।177।20 )  

शूद्रो वा अनुपनीतो वा... ........  त्रिस्थलीसेतु (। । )  

शृंगारएव सर्वे रसाः ........  भागवत सुबोधिनी (10।18।22 )  

शृंगारवीरकरुणहास्यरौद्रभयानकाः... ........  भरतनाट्यशास्त्र (6।15-16 )  

शृंगारार्थमेव कूजनं कृतवान्... ........  भागवत सुबोधिनी (10।18।4 )  

शृणु राम महाबाहो ........  पद्मपुराण (। । )  

शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि... ........  स्कन्दपुराण वैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (3।1-2 )  

शृण्वतः श्रद्धया नित्यं... ........  भागवतपुराण (2।7।53 )  

शृण्वन्ति गायन्ति गृणन्ति... ........  भागवतपुराण (1।8।36 )  

शेषाद् व्यवदाननाशे ........  जैमिनिसूत्र (6।4।1 )  

शैली दारुमयी लौही लेप्या लेख्या च सैकती ........  भागवतपुराण (11।27।12 )  

शोणामेक उदकं गामवाजति... ........  ऋक्शाखास्थचमसविभाग (। । )  

शौनको ब्राह्मणाः क्षत्रियाः... ........  ब्रह्माण्डपुराण (2।3।67।4-5 )  

श्यामं शान्तिकरं प्रोक्तं... ........  ब्रह्माण्डपुराण (। । )  

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