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श्यामं हिरण्यपरिधिं ........  भागवतपुराण (10।20।22 )  

श्येनचितिं चिन्वीत ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।4।11।1 )  

श्रद्धत्स्व अननुभूतो अर्थो ...देशकालक्रियाश्रयम्... ........  भागवतपुराण (4।29।65-67 )  

श्रद्धा अमृतकथायां मे... ........  भागवतपुराण (11।19।20 )  

श्रद्धालुः मे कथाः शृण्वन्... ........  भागवतपुराण (11।11।23-24 )  

श्रवणं कीर्तनं विष्णोः ... ........  भागवतपुराण (7।5।23 )  

श्रवणादिनवकमपि अधिकारभेदेन क्रियमाणं सत् ........  भक्तिहंस ( )  

श्रवणाध्ययनार्थप्रतिरोधात् स्मृतेः च... ........  ब्रह्मसूत्र (1।3।38 )  

श्रावयेत् चतुरो वर्णान्... ........  महाभारत (12।314।45 )  

श्रिया पुष्ट्या गिरा कान्त्या...निषेवितम्... ........  भागवतपुराण (10।36।55 )  

श्रीकृष्णं परमानन्दं दशलीलायुतं सदा ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (3।1।1 )  

श्रीकृष्णो वै परमदैवतम्... ........  गोपालपूर्वतापनीयोपनिषद् (1।1 )  

श्रीगोपालमन्त्र अष्टाक्षर पञ्चाक्षर के श्रवन कराये ........  श्रीकृष्णसागर (1110 )  

श्रीभागवतपीयूषसमुद्रमथनक्षमः... ........  सर्वोत्तमस्तोत्र (16-17 )  

श्रीभागवतमार्गेण... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (2।212-223 )  

श्रीमहाविष्णुं सच्चिदानन्दलक्षणं... ........  कृष्णोपनिपषद् (1-25 )  

श्रुतत्वात् च... ........  ब्रह्मसूत्र (1।1।10 )  

श्रुतिस्मृतिपुराणानां... ........  व्याससंहिता (1।4 )  

श्रुतेः प्रामाण्याद् विकारस्य...अभ्युच्चयः... ........  ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य (2।1।21 )  

श्रुतेस्तु शब्दमूलत्वाद् ... ........  ब्रह्मसूत्र (2।1।27 )  

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