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स किन्नरान् किम्पुरुषान्...कर्मभिः... ........  भागवतपुराण (3।20।45-46 )  

स गत्वा तपसा सिद्धिं... ........  महाभारत (1।173।80-81 )  

स गुरुः यः... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (1।2।33 )  

सं ते प्राणो वायुना गच्छतां ........  तैत्तिरीयसंहिता (1।3।8।1 )  

स नः इन्द्र: कामवरं... ........  तैत्तिरीयारण्यकसंहिता (3।11।8 )  

स पादुके ते भरतः प्रतापवान्... ........  वाल्मिकीरामायण अयोध्याखण्ड (112।29 )  

स ब्रह्मा स शिवः सेन्द्रः ...स्वराट्... ........  महानारायणोपनिषद् (11।13 )  

स भूतं स भव्यम्... ........  महानारायणोपनिषद् (24।1 )  

स मानसीन आत्माजनानाम्... ........  तैत्तिरीयारण्यक (3।11।1 )  

स मावतु ........  तैत्तिरीयसंहिता (3।4।5।1 )  

स यथा इमाः नद्यः...इत्येवं प्रोच्यते... ........  प्रश्नोपनिषद् (6।5 )  

स यथा सर्वासाम् अपां समुद्र एकायनम्... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (2।4।11 )  

स यथा सैन्धवघनो... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।5।13 )  

स यथोर्णनाभिस्तन्तुनोच्चरेत् ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (2।1।20 )  

स यदा अस्माद् ... ........  विद्वन्मण्डन (पृ.191-193 )  

स यो अत एकैकम्...सर्वे एकं भवन्ति... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1।4।7 )  

स वा एष महानज आत्मा... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।4।24 )  

स विश्वकृद् विश्वविद् ... ........  श्वेताश्वतरोपनिषद् (6।16 )  

स वै न देवासुरमर्त्यतिर्यक्... ........  भागवतपुराण (8।3।24 )  

स वै नैव रेमे स द्वितीयम् ऐच्छद् ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1।4।3 )  

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