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सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म सत्संम्प्रयोगे ........  जैमिनिसूत्र (1।1।4 )  

सत्यं ज्ञानम् अनन्तं ब्रह्म... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।1।1 )  

सत्यं दानं क्षमा शीलम्... ........  महाभारत (3।177।16 )  

सत्यञ्च अनृतञ्च सत्यम् अभवद्... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।6 )  

सत्येऽपि अस्ति ज्ञानता...आनन्दत्वं निर्विवादं प्रसिद्धम्... ........  संक्षेपशारीरक (1।186-188 )  

सत्रिणाम् एते यजमानाः आशसते... ........  जैमिनिन्यायमाला (9।1।41 )  

सत्वं रजस्तम इति गुणा ........  भागवतपुराण (11।25।12 )  

सत्वं रजस्तमइति निर्गुणस्य ........  भागवतपुराण (2।5।18 )  

सत्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः ........  छान्दोग्योपनिषद् (7।26।2 )  

सत्वात्संजायते ज्ञानम् ........  भगवद्गीता (14।17 )  

सत्संप्रयोग ........  जैमिनिसूत्र (1।1।4 )  

सत्सम्पत्त्या... ........  छान्दोग्योपनिषद् (6।8।1 )  

सदम्भश्च हतो धर्मो... ........  पद्मपुराणस्थस्वर्गखण्ड (29।28-31 )  

सदसत्ख्यातिः बाधाबाधात् च... ........  सांख्यसूत्र (5।56 )  

सदृशं चेष्टते स्वस्या ........  भगवद्गीता (3।33 )  

सदेव सैम्येदमग्र आसीद् ........  छान्दोग्योपनिषद् (6।2।1 )  

सद्भिन्नत्वेसतिअसद्भिन्नत्वेसतिसदसद्भिन्नत्वम्... ........  अद्वैतसिद्धि (मिथ्यात्वनिरुक्तौ )  

सद्यः पतति मांसेन... ........  मनुस्मृति (10।92 )  

सद्यी स्वप्नौ भूत्वेमम् ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।3।7 )  

सद्योनष्टस्मृतिर्गोपी ........  भागवतपुराण (10।8।44 )  

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