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स वै मनः कृष्णपदारविन्दयोः ........  भागवतपुराण (9।4।18-19 )  

स वै सर्वम् इदं जगत्... ........  महानारायणोपनिषद् (23।1 )  

स वै... अशेषविशेषमायानिषेध... ........  भागवतपुराण (6।4।28 )  

स समानः सन्नुभौ ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।3।7 )  

स सर्वज्ञः सर्वविद् ... ........  मुण्डकोपनिषद् (1।1।9 )  

स सर्वधीवृत्त्यनुभूतसर्वः... ........  भागवतपुराण (2।1।39 )  

स सर्वनामा सच सर्वशक्तिः...अनिरुक्तात्मशक्तिः... ........  भागवतपुराण (6।4।28 )  

स सर्वविद् भजति मां... ........  भगवद्गीता (15।19 )  

स ह उवाच एतद्वै... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (3।8।8 )  

स ह एतावान् आस... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (1।4।3 )  

सं...यज्ञपतिराशिषा ........  तैत्तिरीयसंहिता (1।3।8।1 )  

सएव अधस्ताद्... ........  छान्दोग्योपनिषद् (7।25।1 )  

सएव इदं सर्वम्... ........  छान्दोग्योपनिषद् (7।25।1 )  

सएव इदं ससर्ज अग्रे भगवान् आत्ममायया सदसद्रूपया... ........  भागवतपुराण (1।2।30 )  

सएव एनं भूतिं गमयति... ........  तैत्तिरीयसंहिता (2।1।5।5 )  

सएव परमकाष्ठापन्नः कदाचिद जगदुद्धारार्थम् ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाश (1।1 )  

सएव सर्वभूतेशो विश्वरूपो यतो...उपकारकम्... ........  विष्णुपुराण (1।2।67 )  

सएव हि पुनः सर्ववस्तुनि... ........  भागवतपुराण (6।9।38 )  

सएष आद्यः पुरुषः कल्पे-कल्पे...पाति च... ........  भागवतपुराण (2।6।38 )  

सएष जीवो विवरप्रसूतिः... ........  भागवतपुराण (11।12।17 )  

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