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सएषः न इति... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (3।9।26 )  

सकल्पं सरहस्यं ........  मनुस्मृति (2।140 )  

सकृन् मनः कृष्णपदारविन्दयोः... ........  भागवतपुराण (6।1।19 )  

संक्षेपशारीरककार...न पुनः अधिष्ठानस्य... ........  सिद्धान्तलेशसंग्रह (1।109 )  

संघातपरार्थत्वात् ........  सांख्यकारिका (17।18 )  

सच्च त्यच्चाभवत्...सत्यम् अभवद्... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।6 )  

सच्चिदानन्दं ...ब्रह्म... ........  नृसिंहोत्तरतापनीयोपनिषद् (4।2 )  

सच्चिदानन्दं ...सर्वम् अनवद्यम् ........  विद्वन्मण्डन (पृ.198 )  

सच्चिदानन्दरूपन्तु...स्वगतद्वैतवर्जितम्... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (1।65-66 )  

सजातीयविजातीय... ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध (1।66 )  

सजूर्ऋतुभिः सजूर्विधाभिः ........  तैत्तिरीयसंहिता (4।3।4।6-10 )  

सजूर्देवैर्वयोनाधैः ........  तैत्तिरीयसंहिता (4।3।4।6-10 )  

सतएव पदार्थस्य...अविशेषो निरन्तरः... ........  भागवतपुराण (3।11।2 )  

संततिः गोत्र... वंशो अन्ववायः सन्तानः... ........  अमरकोश (2।2।1 )  

सतो बन्धुम् असति... ........  ऋक्संहिता (10।129।4 )  

सत्त्वे निविशते अपैति पृथग्जातिषु...गुणः... ........  पातञ्जलमहाभाष्य (4।1।44 )  

सत्त्वेव इदम् अग्रे आसीद्... ........  छान्दोग्योपनिषद् (6।2।2 )  

सत्त्वेव सौम्य...प्रजायेय... ........  छान्दोग्योपनिषद् (6।2।3 )  

सत्यं च अनृतं च सत्यम् अभवत्... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।6 )  

सत्यं च अनृतं च... ........  तैत्तिरीयोपनिषद् (2।6 )  

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