| Shlok Name

Shlok Name From First Char | Shlok Name from Any Char | No. of Records                          Print | Print Full

स्वधर्माचरणं शक्त्या विधर्मात् च निवर्तनम् ........  तत्त्वार्थदीपनिबन्ध प्रकाश (2।238 )  

स्वधाम्नो ब्रह्मणः साक्षाद्... ........  भागवतपुराण (12।6।41 )  

स्वपक्षदोषात् च... ........  ब्रह्मसूत्र (2।1।29 )  

स्वपादमूलं भजतः... ........  भागवतपुराण (11।2।42 )  

स्वप्नान्त उच्चावचम् ईयमान... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।3।13 )  

स्वप्रकाशसंविद्...स्वविषयकापरोक्षव्यवहारहेतु... ........  तत्वप्रदीपचित्सुखी (प्रथ.परि. )  

स्वप्रतिपन्नोपाधौ... ........  अद्वैतसिद्धि (1।प्रपं.मिथ्या. )  

स्वमन्त्रो नोपदेष्टव्यो... ........  नारदसंहिता (11।43-47 )  

स्वयं विहृत्य... ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।3।9 )  

स्वयं समुत्तीर्य... ........  भागवतपुराण (10।2।31 )  

स्वयञ्ज्योतिर्भवति ........  बृहदारण्यकोपनिषद् (4।3।9 )  

स्वरतः कालतः स्थानात् ........  पाणिनीयशिक्षा (10 )  

स्वरूपेण अवतारेण लिंगेन... ........  पुष्टिप्रवाहमर्यादा (13 )  

स्वरेण सन्धेयेद् योगम्... ........  ब्रह्मबिन्दूपनिषद् (7 )  

स्वर्गकामो यजेत ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (10।2।1 )  

स्वर्गकामो यजेत... ........  ताण्ड्यब्राह्मण (16।15।5 )  

स्वर्णपात्रं देवद्रव्यम् आसीत्... ........  आचार्यगृहवार्ता (3 )  

स्वस्य अयमेव धर्मो हि ........  चतुश्लोकी (श्लोकी )  

स्वस्यासाधारणत्वेन पितृ.. ........  तैत्तिरीयारण्यकभाष्य (2।10 )  

स्वस्वरूपबलेन स्वप्रपाणं पुष्टिः... ........  अणुभाष्य (3।3।29 )  

1 131 132 133 134 135