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मल्लिंग-मद्भक्तजन ........  भागवतपुराण (11।11।34 )  

महतः परम् अव्यक्तम् ... ........  कठोपनिषद् (1।3।11 )  

महान् इन्द्रो...नृवदाचर्षणिप्रा ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (3।5।7।4 )  

महापातकिनं शवं स्पृष्ट्वा... ........  द्रव्यशुद्धि स्नानयोग्यनिमित्तविचार ( )  

महापुरुषम् अभ्यर्चेद्... ........  भागवतपुराण (11।3।48 )  

महापुरुषस्तोत्रं च... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (1।19।3-4 )  

महाभूतान्यहंकारो ........  भगवद्गीता (13।5 )  

महेश्वरः तव गुरुः... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (1।24।40 )  

मा एवं विभो...भवान् गदितुं नृशंसं... ........  भागवतपुराण (10।29।31 )  

मां च यो अव्यभिचारेण... ........  भगवद्गीता (14।26-27 )  

मां भजत... ........  भागवतपुराण (11।13।33 )  

मां मार्गयन्ति अद्धा... ........  भागवतपुराण (11।7।23 )  

मां विधत्ते अभिधत्ते मां... ........  भागवतपुराण (11।21।43 )  

मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य... ........  भगवद्गीता (9।32 )  

मातुः यद् अग्रे जायन्ते... ........  याज्ञवल्क्यस्मृति (1।2।39 )  

माध्यमिकस्तु मायावादिवद् ... ........  अणुभाष्य (2।2।31 )  

मामेव एति न संशयः... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड (4।2-3 )  

मामेव नैरपेक्ष्येण भक्तियोगेन... ........  भागवतपुराण (11।27।53 )  

माम् अप्राप्यैव, कौन्तेय... ........  भगवद्गीता (16।20 )  

माम् आत्मपरदेहेषु ........  भगवद्गीता (16।18 )  

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