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मनो बुद्धिरेव च अंहकारः... ........  भगवद्गीता (7।4 )  

मनोविकारा एवैते ........  भागवतपुराण (11।16।41 )  

मनोहि द्विविधं प्रोक्तम्... ........  ब्रह्मबिन्दूपनिषद् (1 )  

मन्त्रब्राह्मण यज्ञस्य प्रमाणम् ........  आपस्तम्बश्रौतसूत्र (24।1।30 )  

मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदस्त्रिगुणं यत्र ........  शौनकचरणव्यूहपरिशिष्ट (2 )  

मन्त्रेणैवअभिमन्त्र्यअथ... ........  स्कन्दपुराण द्वितीयवैष्णवखण्ड मार्गशीर्षमाहात्म्य (3।19-20 )  

मन्त्रोपदेशमात्रेण... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (1।57-60 )  

मन्त्रोपासनवैदिकतान्त्रिकदीक्षार्चनादिविधिभिः ........  भक्तिहंसमंगलाचरण ( )  

मन्नामविक्रयी विप्रो... ........  ब्रह्मवैवर्तपुराण (85।196-197 )  

मन्निकेतम्... ........  भागवतपुराण (11।25।25 )  

मन्मना भव मद्भक्तो... ........  भगवद्गीता (9।34 )  

मम माया... ........  भगवद्गीता (7।14 )  

मम योनिः महद् ब्रह्म... ........  भगवद्गीता (14।3 )  

ममयोनिर्महद्ब्रह्म ........  भगवद्गीता (14।3 )  

ममैव अंशो जीवलोके... ........  भगवद्गीता (15।7 )  

मयड्वैतयोर्भाषायाम् ........  पाणिनिसूत्र (4।3।143 )  

मया ततम् इदं...अव्यक्तमूर्तिना... ........  भगवद्गीता (9।4 )  

मया प्रसन्नैन तव, अर्जुन... ........  भगवद्गीता (11।47 )  

मयि निर्बद्धहृदयाः साधवः... ........  भागवतपुराण (9।4।66-67 )  

मरुद्भ्यो गृहमेधिभ्यः ........  तैत्तिरीयसंहिता (1।8।4।1 )  

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