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पूर्वप्रमाणरूपाभ्यां पादेन ........  श्लोकवार्तिक सूत्र (1।1।1।126 )  

पूर्ववद्वा ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।29 )  

पूर्वसिद्धोपि हि सन्नात्मा... ........  शांकरभाष्य (1।4।26 )  

पूर्वसूत्र वर्णस्य अक्षरम् ........  पातञ्जलमहाभाष्य (1।1।2 )  

पूर्वापरानुसन्धानरूपा ........  भागवत सुबोधिनी (10।85।10 )  

पूषा वां विभजतु ........  मानवश्रौतसूत्र (1।2।6।9 )  

पृथक्त्वेन तु यज् ज्ञानं...विद्धि राजसम्... ........  भगवद्गीता (18।21 )  

पृथक्त्वेन तु यद् ज्ञानम् ........  भगवद्गीता (18।21 )  

पृथक्सत्रेण वा मह्यं... ........  भागवतपुराण (11।29।11 )  

पृथिवी दीक्षा...दीक्षमाणम् ........  तैत्तिरीयब्राह्मण (3।7।7।4-7 )  

पृथिव्याएव भेदोऽयं तमस्स्याद्...विदुः... ........  मानमेयरहस्यश्लोकवार्तिक (21 )  

पृथिव्यापस्तेजोवायुराकाशिमति भूतानि... ........  गौतमन्यायसूत्र (1।1।13 )  

पृष्ठे तु पद्मनाभं च... ........  पद्मपुराणोत्तरखण्ड (226।47।1-2 )  

पोषणं तदनुग्रहः ... ........  भागवतपुराण (2।10।4 )  

पौरुषेण च सूक्तेन... ........  स्मृतिसारसमुच्चय (। )  

पौष्णसावित्रसौम्याः च... ........  शौनकीयबृहद्देवता (4।125 )  

प्रउंग शंसति ........  शामायनब्राह्मण (1।4।4 )  

प्रकाशवत् च अवैयर्थ्यात् ... ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।15 )  

प्रकाशाश्रय... ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।18 )  

प्रकाशाश्रयवद्वा तेजस्त्वाद् ... ........  ब्रह्मसूत्र (3।2।28 )  

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